एक तारा
फिर टूटा आज !
टूट के तोड़ गया
सारे भरम
रात
सहसा खड़ी देखती रही
टूटना, गुम हो जाना
बीज का
अनंत आकाश में ।
कौन हो तुम जो समय की खिड़की से झांक कर ओझल हो जाती हो तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे ताज़ा निशान भीनी खुशबू और गुम हो जाने वाला पता महस...