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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

टूटना


एक तारा
फिर टूटा आज !
टूट के तोड़ गया
सारे भरम
रात
सहसा खड़ी देखती रही
टूटना, गुम हो जाना
बीज का
अनंत आकाश में ।

प्रिय पहाड़ , शायद तुम्हे छोड़ने आऊँ !

प्रिय पहाड़ !  तुम आ ही गए , यहाँ . मैदान में , खेतों में . तुम्हारी खुनकी करीब एक हफ्ते पहले महसूस हुयी थी . सुबह अपने खेतों की तरफ गया . तो...